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बदलते सांस्कृतिक मूल एवं भारतीय साहित्य में उनका चित्रण
2021
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सांस्कृतिक मूल अथार्त हमारे जीवन के जीने की विधि या कला है जो समाज में हमारे चिंतन और व्यवहारिक रूप को न सिर्फ व्यक्त करता है बल्कि हमें एक आदर्श रूप में भी परिलक्षित करता है। इन्हीं आदर्शात्मक मूल्यों के आधार पर परिवार, समाज और देश टिका हुआ है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि व्यक्ति और समाज को जोड़ने की एक सार्थक और सशक्त कड़ी साहित्य है। साहित्य समाज का सिर्फ दर्पण ही नहीं बल्कि वह यथार्थ है जिसमें वर्तमान में रहते हुए हम भूत और भविष्य के विषय में विचार कर सकते हैं।
doi:10.6084/m9.figshare.14135936.v1
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