मृणाल पाण्डे की कहानियों में नारी के विविध रूप

पूनम मियान
2021 Zenodo  
भारतीय समाज में एक नारी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने सभी रूपों के निर्वहन में खरी उतरे। मृणाल पाण्डे की कहानियों में नारी अनेकरूपों माँ, बहिन, पत्नी, भाभी, ननद, प्रेमिका, देवरानी जेठानी, सास, बहू, काकी, बुआ आदि रूपों में उपस्थित हुई है। नारी पात्रों की प्रमुखता उनकी कहानियों का वास्तविक रूप प्रदान करते हैं। जीवन-पथ के लम्बे सुर में सुःख-दुःख को वहन करती हुई नारी जहाँ एक तरफ शिक्षित व आत्मनिर्भर होते हुए भी लाचारी व बेबसी के कारण परिजनों द्वारा भावनात्मक रूप में शोषित हुई दिखती है तो वही
more » ... ी ओर अपनी उन्मुक्ता के कारण उसकी चरित्रहीनता भी निरुपित हुई है। इन रूपों को बदलने की जरुरत के प्रति आवाज उठती नरियों के स्वर, कहानियों में चिंगारी का लिए उठते प्रतीत हुए हैं। नारी के विविध रूपों में उसका उदाŸा व्यक्तित्व भी प्रकट हुआ है। अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन करती हुई नारी अनेक तरह के संघर्षों व कठिनाईयों में भी जीवन को संतुलित करने का प्रयत्न करती हुई चित्रित हुई हैं।इस सृष्टि को अधिक सुंदर बनाने के लिए ईश्वर ने नारी की संरचना की। नारी ही परिवार से लेकर समाज के भविष्य की निर्मात्री है। किसी भी युग के इतिहास में झाँककर देखें तो हम पाते हैं कि अनेक महान लोग नारी के किसी न किसी रूप में प्रभावित होकर युगपुरुष बने हैं।
doi:10.5281/zenodo.7178242 fatcat:ordpslqpbveuphlujm2h5i2m4i