@article{े_कुमार_2017, title={वानिकी एवं पर्या वरण}, DOI={10.5281/zenodo.574868}, abstractNote={एक अरब स े ज्यादा जन सैलाब के साथ भारतीय पर्या वरण का े स ुरक्षित रखना एक कठिन कार्य ह ै वह भी
जबकि हर व्यक्ति की आवश्यकताएॅ ं, साधन, शिक्षा एव ं जागरूकता के स्तर में असमान्य अंतर परिलक्षित होता
है। संत ुलित पर्या वरण के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना करना मात्र एक कल्पना ही है। पर्यावरण स े खिलवाड ़
के परिणाम हम र्कइ रूप में वर्त मान में द ेख रहे हैं एव ं भोग रहे ह ैं।
पर्यावरण विज्ञान आज के समय क े अन ुसार एक अनिवार्य विषय ह ै। यह सिर्फ हमारी ही नहीं अपित ु व ैश्विक
समस्या ह ै। वर्त मान पर्यावरणीय अस ंत ुलन का े द ेखत े हुए इस विषय स े हर व्यक्ति का े जुड ़ना चाहिए एव ं
जोड ़ना चाहिए। वानिकी एव ं पर्या वरण विज्ञान से प्राक ृतिक संसाधनों का सतत ् प्रब ंधन एव ं नई तथा कारगर
तकनीकों के माध्यम से पर्यावरण का संरक्षण आ ैर स ुधार किया जा सकता है। मानव समाज न े विज्ञान एव ं
अन्य क्षेत्रो ं में अभूतप ूर्व विकास किया ह ै पर ंत ु इस विकास के चलत े उसन े प्राकृतिक संसाधना ें का क्रूरता क े
साथ उपयोग किया है या यह कहा जाये कि द ुरूपयोग किया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इससे हमार े
प्राकृतिक संसाधनों के साथ पर्यावरण को भी न ुकसान हुआ है और इसक े परिणाम द ेखन े के लिए हमें कही ं
द ूर जान े की आवश्यकता नहीं है। प्रकृति के साथ सतत ् की जा रही बर्बरता के कारण आज हम बढ ़त े बंजर
इलाके, कम उपजाऊ भूमि, प्रद ूषण से भर े हमार े नगर आ ैर बाढ ़ तथा सूखे की क्रूरता झ ेलत े मानव समाज एव ं
क्षेत्र हमार े समकक्ष ही उपलब्ध ह ैं। आज सारा विश्व पर्यावरण संत ुलन को सुधारन े के लिए विवश है। इस
परिप्रेक्ष्य में वन एव ं पर्यावरण शब्द एक द ूसर े के प ूरक लगत े हैं। वनों के प ्रब ंधन से पर्यावरण में सुधार होना
अवश्यम्भावी है। व ैश्विक स्तर पर पर्यावरण को हुए न ुकसान एव ं इसकी ब ेहतरी के लिए किये जा रहे प्रयासा ें
तथा हमार े आसपास ह ुए भयावह परिवर्त न से सीख ल ेकर अब प ूर े मानवसमाज को सचेत होन े की जरूरत
है। अगर हम अब भी सावधान नही ं हुए तो हमें विनाशकारी परिणाम भ ुगतन े से र्कोइ नही ं बचा सकता।
विभिन्न द ेशों में ह ुई ओद्या ैगिक क्राॅ ंतियाॅ ं भी पर्यावरण के लिए खतरनाक रहीं। यूरोप म ें ह ुई आ ैद्या ेगिक क्राॅ ंति
के 100 वर्ष बाद ही विश्व की जनसंख्या दोगुनी हो गयी। जनस ंख्या [...]}, publisher={Zenodo}, author={े and कुमार}, year={2017}, month={Sep} }